दो कदम चल के तो देखो
साहिल शायद नज़र आए
दो कदम चल के तो देखो
शायद वक्त थम जाए
मुशिकुलों में उलझ कर
अंधेरों में झुलस कर
वैसे भी क्या ही पा लिया है
दो कदम चल के तो देखो
शायद वो नज़र आए
जिसे पाने की चाह में
धुआं बन गए हो तुम
दो कदम चल के तो देखो
शायद दो और कदम चलने की
हिम्मत मिल जाए
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