Sunday, January 18, 2009

Maze maze me

Jab chale ham apni raah chunne
Tab pata nahi tha aisa bhi hoga
Badalte badalte zindagi ko
Badal gaye ham khud
Bas yu hi maze maze me

Socha tha ye karenge
Chaaha tha wo karenge
Par karne chale jab aakhri faisla
Faisle ne hame hi badal diya
Bas yu hi maze maze me

Aaj jab ham pahuche is maqam par
Nazar padi khwabo ki dukan par
Jab apna hi khwab bikta hua dikha
Kashm-kash manate reh gaye
Bas yu hi maze maze me

Haste hue,muskurate hue
Kadam pe kadam badhate hue
yu hi leh-lahate hue
Roz ek nayi zindagi jeete hain
Bas yu hi maze maze me

Jab wo aye
To kehna use
Ab hamne jeena seekh liya hai
Jeet lenge ham haar ko bhi
Bas yu hi maze maze me

Dekh le ab zamana bhi
Aata hai hame afsana banana bhi
Do patthar ki moorti toot gayi to kya
Ham mitti se paida kar denge nageena
Bas yu hi maze maze me

1 comment:

  1. दर्द लेके हाथ में,
    बैठी हूँ समुंदर के कोने में,
    साहिल कहते है जिसे |

    कुछ करने को है नही,
    बस दर्द को समेटा हुआ है मुट्ठी में ||
    देख रही हूँ,
    एक गोल सा जलता कोएला है,
    पीले आसमान के canvas में, रंग भरता,
    फ़िर जलाता,
    जला-जला के रात कर गया वो कोएला,
    और फ़िर बुझ गया समुंदर में ही डूब कर ||

    आज रात खाली है,
    और कमरे में एक मोम बत्ती पड़ी है कहीं,
    आग नही है |
    बस खाली कमरा है,
    टेबल कुर्सियों से चेहरे लेके लोग खड़े हैं, जगह जगह|
    बेढंगे से,
    टूटी फूटी सी आँखों से ताकते,
    अंधेरो में जलती आँखें,
    तारे कहते है शायद उन्हें |
    चमकती हैं,
    पर रौशनी नही देती ||

    चाँद के इंतज़ार में आज सब बेज़ार हो गए हैं |
    चाँद नही उगेगा आज... ||
    कल सुबह जलता कोएला हाथ में लेके,
    फिर कोइ पैगम्बर आयेगा,
    जलाके चला जाएगा सब फिर से ||

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