Sunday, March 1, 2009

Chhodna mat koi hasrat adhoori
Jane zindagi aage ho na ho poori
Jane phir ye din aye na aye
Jane kab ban jaye tanhayee majburi

No comments:

Post a Comment

फटे पुराने पन्नों से झाँकती ज़िंदगी

जिन उंगलियों को पकड़ कर चलना सीखा जिन कंधों पर बैठ कर दुनिया देखी आज वो उंगलियाँ बूढ़ी हो चलीं हैं और कंधे झुके-झुके से दिखते हैं उन आँखों म...