Monday, December 13, 2021

दो कदम

 दो कदम चल के तो देखो

साहिल शायद नज़र आए

दो कदम चल के तो देखो

शायद वक्त थम जाए

मुशिकुलों में उलझ कर

अंधेरों में झुलस कर

वैसे भी क्या ही पा लिया है

दो कदम चल के तो देखो

शायद वो नज़र आए

जिसे पाने की चाह में

धुआं बन गए हो तुम

दो कदम चल के तो देखो

शायद दो और कदम चलने की

हिम्मत मिल जाए


तुम को क्या मालूम..

अधखिली सी इक कली तुम को क्या मालूम कीमत नहीं है कोई जो चुरा ले जाए कोई भंवरा तुमसे तुम्हारी सादगी तरस जाती होंगी  वो ओस की बूंदे हलके से छू ...