Monday, January 23, 2023

तुम को क्या मालूम..

अधखिली सी इक कली

तुम को क्या मालूम

कीमत नहीं है कोई

जो चुरा ले जाए कोई भंवरा

तुमसे तुम्हारी सादगी


तरस जाती होंगी 

वो ओस की बूंदे

हलके से छू लें जो कहीं

झुलस न जाए

रेशम सी नाज़ुक पंखुड़ी


रोक सका है क्या

न रोक सकेगा कभी

तुम्हारी महक

तुम्हारी खूबसूरती

किसी खुदा की कायनात नहीं

तुम को क्या मालूम..

अधखिली सी इक कली तुम को क्या मालूम कीमत नहीं है कोई जो चुरा ले जाए कोई भंवरा तुमसे तुम्हारी सादगी तरस जाती होंगी  वो ओस की बूंदे हलके से छू ...